The Book written by me

Jaane Kitne Rang ( in Hindi )

Wednesday, December 22, 2010

प्याज .. आज की तारीख में ..

प्याज काटने से आंसू निकलते हैं / जनाब .. मेरे तो प्याज खरीदने में भी आंसू निकलते हैं / वे आपस में बातें कर रहे थे / मैं सुन रहा था / मैं सोच रहा था ..

I read ..

- Silence is the BEST answer for all the stupid questions .. smile is the BEST reaction to all critical situations .. and you must keep yourself smiling .. when you looses .. as your smile may reduce the joy of win in your opponent ..
- If you are right – no need to get angry .. if you are wrong – you have no right to get angry .. ( my friend DR SARBHAI had sent me this message on 21 Dec 2010 .. in the morning )

Friday, December 3, 2010

कविताएं .. पुरानी .. बहुत पुरानी ..

(1)
कुत्ते को
सिखातो हो
अच्छा करते हो
कुत्ता तो कुत्ता है
शेर
कभी नहीं
हो सकता
क्या
यह भी
याद रखते हो ..



(2)
अपेक्षा किसी से
अपेक्षा एक दूसरे से
सौदा पूर्वाग्रह से

अपेक्षा न किसी से
न ही एक दूसरे से
दोस्ती पूर्वाग्रह से


(3)
गिरगिट

कुछ देखा तो था ..
लेकिन
यह क्या
वह तो बदल गया ..

फिर से ..

अब
फिर से बदल गया ..

सभी तो नहीं
लेकिन
फिर भी
तेजी से बदल गया ..

शरीर तो नहीं
सिर्फ
रंग तेजी से
बदलता
चला गया ..

वह
गिरगिट
था ..

किसी को
देखकर
उसकी याद
आ गई ..

Friday, November 26, 2010

कहीं पढ़ा था ..

मैंने कहीं पढ़ा था - वह व्यक्ति विश्व के सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों में से हैं .. जिसके पास वो मन है जो परिस्थितियों से कभी हार नहीं मानता .. । जब मैंने इसे पढ़ा तो मुझे वो पंक्तियां भी याद आ गई .. जिसे मैंने कभी पढ़ा था - मन के हारे हार है .. मन के जीते जीत .. ।

Friday, August 6, 2010

true ..

- Fighiting with the world is easy .. as you either WIN or LOOSE .. BUT fighting with a dearest one is very defficult as if you loose - YOU LOOSE .. and even, if you win - YOU LOOSE ..
- You may give 100 chances to to your enemy, to become your friend .. but never give a single chance to your friend, to become your enemy ..
Create a value of your own / given value is not thr real one .. you have / you will be remembered by your own efforts and not by virtue of a status awarded to you like others ..
- Just hire a driver if you do not know how to drive .. and just burn the sadness in your Heart if you do not know how to remain happy ..

Sunday, July 25, 2010

चिंता भी .. चिंतन भी ..

कभी ऐसा भी होता है कि हमें रास्ते चलते कोई चेहरा अपना लगता है तो कभी रास्ते में कोई ऐसा चेहरा नज़र आ जाता है जिस पर नजर पड़ते ही गुस्सा सा आने लगता है जबकि उस अनजान चेहरे ने अपना कुछ भी नहीं बिगाड़ा होता है .. कोई मुझसे कह रहा था .. न जाने ऐसा क्यों लगता है .. वे आगे कहने लगे - जब किसी से कोई बैर नहीं तो फिर क्या सोचना .. लेकिन जब कोई आत्मसात करता कोई चेहरा दिखकर गायब हो जाता है तो फिर कुछ तकलीफ तो होती है .. । उनकी बातें / मैं सुन रहा था / मैं चिंतन कर रहा था / मैं चिंतित हो रहा था / मैं सोच रहा था ..

Monday, May 3, 2010

मुझे बहुत दुख हुआ ..

मैंने हिंदी माध्यम में बारहवीं पास, किसी को देखा कि वह चाण्डक, पाटिल या फिर पूजा जैसे हिन्दी के शब्दों को लिखने में असमर्थ है .. शिक्षा के इस स्तर को देखकर, मैं हतप्रभ था । मुझे आश्चर्य भी हुआ और दुख भी बहुत ।

Monday, March 29, 2010

किसी ने कहा -

कई बार बातों ही बातों में हमें कोई ऐसी बात बता जाता है जो व्यवहारिकता के स्तर पर हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं । कल ऐसी ही कोई बात कोई कर रहा था -
यदि कोई अनियंत्रित गति से और बेपरवाह व बेतरतीब होकर सड़क पर जा रहा है और आपको उसके इस दुर्व्वहार से यदि जरा सा भी धक्का लगता है या फिर चोट पहूंचती है तो - आपकी प्रतिक्रिया की दरअसल कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि ऐसा करके आप अपना ही वक्त और ज्यादा ही जायज करते हैं और फिर आगे चलकर यदि उसने उपने आपको नहीं सुधारा तो .. आगे कहीं भी टकराकर गिर सकता है .. वक्त आपका कीमती है .. इसे व्यर्थ की या फिर फिजूल की बातों में खर्च करना कोई बुद्धिमानी तो नहीं है .. ।

Monday, March 22, 2010

a sensible one ..

I intend but not forcing you to love me .. but please do not let love be the reason to hate me ..

A thoughtful message ..

A friend of mine sent me this message -

The worst thing in the life is the ATTACHMENT .. it hurts you when you loose .. and the best thing in life is the LONELINESS .. because it teaches you .. and when you loose .. you get the desired ..

Sunday, March 14, 2010

A lovely fact ..

No body in the world can have a crystal clear heart .. Because everyone's heart has some skretches scibbled by the dear ones ..

a thought carrying a positive attitude ..

If people around you are making attempts to pull you down .. also feel proud about it because .. it only means one thing that you are above them ..

Believe yourself ..

A bird sitting in the branch of a tree is never afraid of the branch shaking or being broken because birds do not trust on branches but on their own wings ..

Monday, March 8, 2010

चिंतन ..


कुछ न कुछ छुपा है .. सभी के अंदर । मेरे अंदर भी है .. मैं कोई दुनिया से अलग थोड़े न हूं .. और मुझे मालूम है कि आपके अंदर भी है .. । छुपी वह बात .. वह खुशी या वह दर्द .. मैं किसी से बांट नहीं सकता .. कभी बांटने का ख्याल आता भी है तो फिर .. डर जाता हूं कि कहीं .. फिसलकर मेरी बात आम न हो जाये । इन बातों का रिश्ता मेरी सांस से बेहद करीब का है । जब तक सांस है .. तब तलक जिंदा है वह बात .. वह जज्बात .. मेरे अन्दर .. फिर, सांस के उखड़ते ही .. फिर वह भी खत्म .. वह कह रहा था ।वह कह रहा था .. मैं सोच रहा था ..

Sunday, February 21, 2010

the impressive lines ..


Have a unique character like salt - its precence is not felt when
quantity is right .. but its its absence makes things testless ..


I came across these lines ..
I thought unavoidable to share with you ..

Wednesday, February 17, 2010

अभिव्यक्ति ..

कई ऐसे डाक्टर हैं जिनका चिंतन प्रभावशाली व तारीफ के काबिल है । यहां मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि मैं स्वयं पेशे से एक डाक्टर हूं इसलिये डाक्टर की तारीफ कर रहा हूं .. कतई ऐसा नहीं है ।
मेरे एक मित्र हैं जो पेशे से चिकित्सक हैं .. वे उस दिन ऐसे ही किसी बात पर कह रहे थे - अपने देश में ये जो बाबूओं का राज है वह आज की स्थिति में शरीर में होने वाली डायबिटिज़ जैसी बीमारी की तरह घातक है .. । मैं उनके इस अवलोकन .. इस पैनी निगाह पर सोच रहा था ।
मैं अहा ज़िदगी का फरवरी 2010 का अंक पढ़ रहा था । उसमें पृष्ठ 82 में डा अरविन्द नेराल का पत्र-लेख 'आज में जीना सिखो निन्नी' पढ़ा । पढ़कर मुझे अच्छा लगा । मैं उन्हें सेल-फोन पर SMS कर बधाई दूंगा ।
मैं अपनी मानसिकता की बात कर रहा हूं कि .. चाहे कोई भी व्यक्ति हो या फिर वह कोई भी प्रोफेशन का हो .. अपने अन्दर की अनुभूति को यदि व्यक्त करने की आदत यदि उसमें है तो वह मेरी नजर में प्रशंसनीय है .. उसके अभिव्यक्ति का माध्यम फिर कोई चाहे कोई भी हो .. कविता हो या फिर लेख या फिर चित्र या फिर म्यूज़िक . । जो किसी अभिव्यक्ति को व्यक्तिगत होने की टिप्पणी देते हैं उनसे मेरा सनम्र निवेदन है कि किसी अभिव्यक्ति को आप इस नज़र से देखें कि हो सकता है कि किसी का कोई अनुभव आपके किसी काम आ जाये और तब उस स्थिति में ऐसी अभिव्यक्ति की साथर्कता का अहसास आप कर सकते हैं । जो सही है उसे कहने व लिखने में कोई संकोच नहीं है । लिखते समय केवल एक बात का ध्यान रखना चाहिये कि कोई व्यक्तिगत टिप्पणी किसी के लिये कभी न हो और ऐसा किसी को भी नहीं करना चाहिये .. मैं ऐसा सोचता हूं .. ।

Wednesday, February 10, 2010


इन दिनों मैं इस कोशिश में लगा हूं कि साधना ढांड पर मैं जो पुस्तक लिख रहा हूं वह जल्दी से जल्दी पूरा करूं क्योंकि कोई लम्बा वक्त हो चुका है मुझे इस काम को शुरू किये हुए । साधना की मानसिकता और इर्द-गिर्द की हलचलें और इन हलचलों का प्रभाव .. वह सब जो बीत चुका है .. उसकी परिणति और अभी जो गुजर रहा है .. उसके बारे में और आने वाले कल की संभावनाएं .. कुछ साधना के दृष्टिकोण से तो कुछ अपना नजरिया .. तो कुछ अपनो का नजरिया .. लेकिन लिखने का ये काम इतना आसान भी तो नहीं है । शायद मैं उतना चिंतित नहीं रहता लेकिन पिछले दिनों जो A4 size में लिखे 83 पेजेस कम्प्यूटर के हार्ड डिस्क से उड़ गये थे .. उनसे मैं विचलित हो गया था । विचलित होना तो स्वभाविक था .. लेकिन मैं हतोत्साहित नहीं हुआ । लगा हुआ हूं .. अब फिर से .. नये सिरे से । लेकिन अब इतना जरूर करता हूं कि सभी पेजेस के प्रिंट्स निकाल कर रख लेता हूं ।

- जेएसबी

Monday, February 1, 2010


01 फरवरी 2010 । सोमवार ।

साहबियत पर
बड़े साहब की
लिखी कविता
की
तारीफ कर रहे
किसी
छोटे साहब के टेबल पर
शोभायमान कैंची
को देखकर
छोटे साहब
और
कैंची
की फितरत पर
मैं सोच रहा था ..

- जेएसबी

Thursday, January 28, 2010

28 जनवरी 2010 । गुरूवार ।
ज्योतिष और शास्वत सत्य - अच्छी जिंदगी जीने की चाहत किसे नहीं होती .. और फिर ऐसी ही किसी स्थिति को प्राप्त करने के लिये लोग ज्योतिष का सहारा लेते हैं । यही वजह है कि ज्योतिष एक ऐसा धंधा है जिसे दुनिया की किसी मंदी का कोई असर न तो कभी पड़ा है और न ही कभी पड़ सकता है और यह एक शाश्वत सत्य है .. ।
- जेएसबी

Wednesday, January 27, 2010

27 जनवरी 2010 । बुधवार ।
यह काफी दिन पहले की बात है । किसी शीर्ष ने मुझसे कहा कि उसे अपनी ऊंचांई पर नाज़ है .. और उसने आगे कहा कि उसके इस फख़्र में वह पूरी शिद्दत से पहली सीढ़ी को भी शामिल करता है .. । मैंने सुना और उससे कहा कि उसकी यह सोच उसे इस उंचांई पर लेकर जायेगी जहां से आज या वतर्मान बौना दिखाई देगा । .. और मेरा यकीन मानिये कि मेरी तब की कही हुई वह बात आज हकीकत के रूप में मेरे सामने है । यह तो वक्त की जरूरत है कि मैं उस शीर्ष का उल्लेख नहीं कर सकता लेकिन इस बात से आपको अवगत कराना अपना कर्तव्य समझता हूं .. ।
- जेएसबी

Sunday, January 24, 2010


This oil painting was made by me in early 1984 ..
24 जनवरी 2010 । रविवार ।
21 जनवरी 2010 को डा अशोक भट्टर के बेटे के शादी के अवसर पर आयोजित आशीर्वाद समारोह में गया था । वहां आई भीड़ को देखकर मिलनसार स्वभाव के डा अशोक भट्टर की लोकप्रियता का अंदाजा लग रहा था ।

- डा जेएसबी नायडू ।

Sunday, January 17, 2010

17 जनवरी 2010 । रविवार । 09.45 बजे । रात में ।
निःशब्द है
वातावरण ..
और
स्पंदन ही तो हैं
जो आभास कराते हैं
कि वक्त जिंदा है ..

मुझे मालूम है
कि
वक्त तो .. अभी कोमा में है ..
लेकिन
अनिश्चित अवधि की यह
अस्थाई स्थिति है
और

फिर ..
यह भी निश्चित है .. कि
बाहर निकल आयेगा .. वक्त
किसी दिन .. कोमा से .. अचानक ..
और फिर मुस्करायेगा ..

मुझे
इंतजार है
बेसब्री से .. उस दिन का
और

वक्त भी शायद बेबस .. लेकिन अधीर है ..

- डा. जेएसबी नायडू

Tuesday, January 12, 2010

12 जनवरी 2010 । मंगलवार ।
प्रति वर्ष, डा. अशोक भट्टर के नये साल पर भेजे जाने वाले बधाई संदेश के असामान्य प्रस्तुति का मुझे बेसब्री से, हमेशा इंतजार रहता है । नये वर्ष के बधाई संदेश के साथ-साथ किसी न किसी thoughtful message का विवरण उनके बधाई संदेश में पढ़ने को मिलता ही है । उनके इस thoughtful attempt से मैं सदैव ही प्रभावित रहा हूं । पेशे से शिशु रोग चिकित्सक होने के साथ-साथ .. उनके ट्यूबुलर विज़न से परे होकर स्थापित इस सोच का .. मैं सम्मान करता हूं ।
- डा. जेएसबी नायडू

Sunday, January 10, 2010

10 जनवरी 2010 । रविवार।
मेरे एक मित्र हैं, जो नाक-कान-गला विशेषज्ञ हैं .. । यह उस दिन का वाक्या है जब हमारी मुलाकात किसी के गृह-प्रवेश कार्यक्रम में हुई थी .. । कुछ लोगों के साथ वे भी खड़े-खड़े बतिया रहे थे । वे बातों ही बातों में किसी से कह रहे थे - " अब आपको उम्र के इस पड़ाव पर तो आकर सोचना चाहिये .. आप इतना क्यों बोलते हैं .. माना कि ईश्वर ने आपको नाक भी दिया व कान भी और गला या आवाज भी .. दिया है लेकिन आपको बोवना कम से कम चाहिये .. सारी तकलीफों की जड़ तो यही है .. आप सुना ज्यादा करिये और बोला तो बिल्कुल भी कम "
शारीरिक इलाज करते-करते आप तो बड़ी सार-गर्भित बातें कह गये हैं .. वहीं खड़े किसी व्यक्ति का कमेंट था । पास में खड़े किसी दूसरे सज्जन ने कहा - डा. साहब आप बिल्कुल ठीक कहते हैं .. आपकी ये बातें .. बीते हुए कल व आज के साथ-साथ आने वाले कल के संदर्भ में भी सत्य व सामयिक प्रतीत होती है । अगले दिन सुबह-सुबह अखबार हाथ में लेते ही मित्र की कही हुई वह बात याद आ गई .. ।
सोचा आपको भी बताता चलूं .. ।
- डा. जेएसबी नायडू ।

Friday, January 8, 2010


08 जनवरी 2010 । शुक्रवार ।
मैं सोचा था कि मेरे ब्लाग पर प्रतिक्रिया व्यक्त किये सभी को अलग- अलग अभिव्यक्त करूंगा लेकिन शायद इसे मेरी अपरिपक्वता कहूं या जो कुछ भी .. जैसा भी आप समझें .. कि मैं ब्लाग की इस दुनिया में नया-नया हूं इसलिये संबंधित तकनिकी जानकारी का अभाव है अतः मैं सभी से क्षमा मांगता हूं कि चाहकर भी उन्हें मैं उनके ब्लाग में जाकर सही ढंग से टिप्पणी नहीं कर पा रहा .. और इसलिये सभी के लिये संयुक्त रूप से मैंने लिखा है -
मेरे ब्लाग पर आपकी प्रतिक्रिया पढ़कर अच्छा लगा .. । भविष्य में भी ऐसा ही मार्ग-दर्शन व सहयोग आपसे प्राप्त होता रहेगा ऐसी आशा करता हूं । नये वर्ष की ढेर सी शुभ-कामनाएं .. ।


सादर ..


- डा. जेएसबी नायडू ।

Thursday, January 7, 2010


07 जनवरी 2010 । गुरूवार ।


भाग्य ज्योतिष के पास नहीं मिलता ..
आपके किये गये कर्म आपके भाग्य के निर्माता हैं, कुंडली नहीं । सबसे महत्वपूर्ण है तो उपरी माले में स्थित आपका दिमाग । आपकी सोच .. आपका निर्णय .. आपके तकदीर की दिशा तय करता है । जो व्यक्ति किसी ज्योतिष के पास जाकर अपनी जिंदगी की दिशा तय करते हैं वे शायद यह भूलते हैं कि दम तो पुरूषार्थ में है .. ज्योतिष की कही बातों में नहीं .. क्योंकि दुनिया के सभी बड़े-बड़े .. महान लोग किसी ज्योतिष के मार्गदर्शन से महान नहीं बने हैं बल्कि सही वक्त पर किया किया गया उनका कर्म है जिसने उनको इतिहास में महान रूप में स्थापित किया है । दोष ज्योतिष या फिर ज्योतिष शास्त्र में नहीं है .. बल्कि व्यक्ति की सोच में है और जो आलसी है वह बिना कर्म किये कैसे सफलता प्राप्त कर सकता है । इस सत्य को कैसे कोई नकार सकता है कि परीक्षा में पास होने के लिये परीक्षा में बैठना जरूरी है .. ।
मैं तो कर्म की प्रधानता पर विश्वास करता हूं ..
- डा. जेएसबी नायडू

Wednesday, January 6, 2010

06 जनवरी 2010 । बुधवार ।

आज सुबह मैंने अपने कमरे के बाहर कुछ व्यक्तियों को आपस में बात करते सुना -

एक - अपनी जिंदगी तो जैसी भी है .. यार ठीक है । मैं तो उससे संतुष्ट हूं .. ।

कोई दूसरा - लेकिन जैसे लगता है कि मैं तो कुछ कर ही नहीं पाया हूं .. अपना हाल तो आधे खाली गिलास जैसा है । पहला - यार तुम्हारी तो सोच ही निगेटिव है .. तुम्हारी सोच में नकारत्मकता है । तुम तो आधे खाली गिलास को लेकर डिप्रेशन में हो और मुझे देखो मैं तो सोचता हूं हमेशा सकारात्मक .. एकदम पाजीटिव थिंकींग .. । मुझे फिर किसी तीसरे व्यक्ति की आवाज सुनाई दी .. जिसके सोचने का तरीका एकदम अलग था .. वह कह रहा था - तुम लोग भी क्या निगेटिव और पाजीटिव के चक्कर में हो .. यार, गिलास के आधे खाली का यह क्या मतलब निकाल रहे हो कि .. ऐसी सोच नकारात्मक है .. कतई नहीं इस स्थिति को सकारात्मकता में लेना चाहिये .. गिलास के आधे खाली हिस्से को हमें भरना है .. पाजीटिव सोच के ऐसे आयाम को जगह दो .. न कि आधे खाली गिलास का रोना रोओ .. ।

उनके वातार्लाप को सुनकर मुझे लगा कि ब्लाग में इस बात को जरूर लिखना चाहिये .. ।

- डा. जेएसबी नायडू

Tuesday, January 5, 2010

title - land scape / size - 17 inch x 29 inch / media - oil / a painting by - dr jsb naidu /05 जनवरी 2010 । मंगलवार । किसी भी हल्की सोच को प्रश्रय देने का परिणाम शायद पानी में तैरते उस पत्ते की तरह है जिसकी प्रकृति हल्की होने के कारण वह पानी के उपर तैरता रहता है और किसी को भी आसानी से दिख जाता है .. फिर एक समय ऐसा प्रारंभ होता है कि जब वह सढ़ना शुरू होता है । यह वह स्थिति है जब वह पानी को दूषित कर देता है । इसके ठीक विपरीत किसी भारी चीज की होती है .. जिसकी फितरत होती है गहराई में डूब जाना .. । प्रकृति के ऐसे कई उदाहरण हैं जिनको हम शायद अनदेखा कर जाते हैं लेकिन वे प्रेरणादायक व मार्गदर्शक हो सकते हैं । दरअसल मुफ्त में उपलब्ध इन स्थितियों को हम ध्यान नहीं दे पाते हैं और इसकी वजह शायद प्रीआकूपाइड माइन्ड या फिर और कोई भी कारण हो सकता है .. जो आप जैसे विद्वान समझ सकते हैं .. । - डा. जेएसबी नायडू

Monday, January 4, 2010

04 जनवरी 2010 . सोमवार .

पेंटिंग्स् को लेकर मैं जूनूनी हूं । जिंदगी की तमाम जरूरी बातों में मेरा यह शौक भी शामिल है । यह मुझे सुकून देता है और उरजा से भर देता है । लेकिन जब भी फुरसत के लम्हे मिलते हैं मैं आजकल लिखना पसंद करता हूं ।

- डा. जेएस.बी नायडू

Sunday, January 3, 2010

03 जनवरी 2010 . रविवार .

कुछ युवाओं को मैंने बातें करते हुए सुना - हमें तो वही कैरियर चुनना चाहिये जो हमको पसंद हो । जबकि मेरे माता-पिता सख्त खिलाफ हैं इस बात के लिये कि मैं उनकी बात नहीं मानकर जिद लिये बैठा हूं कि मैं तो अपना कैरियर किसी और ही फिल्ड में बनाना चाहता हूं । मैंने तो अपने डैड से कहा कि आप अपने अनुभव से सोचते हैं जिसमें आपकी परिस्थितियां शामिल रही होंगी । फिर मैंने उनको एक अखबार पढ़ाया जिसमें किसी कामयाब व्यक्ति की कही हुई बात लिखी थी कि मैं आज कामयाबी के उंचे धरातल पर हूं जबकि मेरे पिता ने मेरे स्कूल के दिनों में ही इस फिल्ड में जाने के लिये मना किया था और नाराजगी जताई थी । लेकिन पिता के विरोध के बावजूद मैंने ऐसा किया और देखो अब मैं कितना सफल हूं ।

मैं सोच रहा था कि इक्के-दुक्के उदाहरण को लेकर कोई अपनी बात को सही ठहराने की कोशिश अवश्य कर सकता हैं । लेकिन शायद यह समझना भी जरूरी है कि हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनका बच्चा कामयाब बनें और उसकी जिंदगी में कम से कम प्रतिरोध आये इसलिये उनकी इस भावना को बिना सोचे-समझे अपमानजनक ढंग से ठुकराकर गैरवाजिब, अप्रासंगिक व बेसिरपैर का कहना बुद्धिमानी नहीं है । आप किसी रास्ते से जाकर कोई आरामदायक स्थिति को प्राप्त कर और फिर अपने शौक को पूरा कर सकते हैं । फिल्मों में प्रसिद्ध चिकित्सक व खेल के क्षेत्र में सफलता हासिल करने वालों को नहीं भूलना चाहिये कि किसी प्रतिष्ठा को प्राप्त करने के बाद अपने मनचाहे कैरियर में जाकर उन्होने कामयाबी हासिल की ।

मैंने इसी विषय पर किसी उम्र दराज से बात किया तो उनका कहना था - किसी मंजिल को प्राप्त करने के बाद फिर यदि कोई अपने शौक पर जा टिकता है और वहीं कामयाबी के नये आयाम स्थापित करता है तो यह शायद ज्यादा अक्लमंदी की बात होगी ।

सोच के इस आयाम को भी तो नकारा नहीं जा सकता .. ।

Saturday, January 2, 2010

02 जनवरी 2010 . शनिवार ।

आज कोई लेख लिखते हुए मुझे यूं ही याद आ गया कि किसी ने कभी मुझसे पूछा था कि आपको कौन सा रंग पसंद है और फिर मेरे उत्तर की प्रतिक्षा किये बगैर ही मुझे अवगत कराया गया कि उन्हें तो लाल रंग पसंद है लेकिन नीला रंग नहीं । दृढ़ता किसी भी स्तर पर ठीक नहीं है । दृढ़ता शरीर की बढ़ी हुई उम्र में होती है लेकिन बचपन तो लचीलापन लिये हुए होता है । प्रकृति में लाल रंग के फूल भी हैं और पेड़ों का रंग हरा है व वहीं आकाश का नीलापन भी अपना अस्तित्व बनाए हुए है । प्रकृति के इन संकेतो को नजरअंदाज करना शायद बुद्धिमानी नहीं है ।

Friday, January 1, 2010

01 जनवरी 2010, शुक्रवार ।

मुझे लगता है कि मुझे नियमित रूप से ब्लाग लिखना चाहिये । मैं ही क्यों हर किसी को जिंदगी के अपने अनुभव यथा-संभव बाटना ही चाहिये .. क्या मालूम कब और कौन सी बात किसी के काम आ जावे । इंसान के इंसान के रिश्ते के अस्तित्व के लिये शायद यह जरूरी है ।