The Book written by me

Jaane Kitne Rang ( in Hindi )

Thursday, October 23, 2014

I think that now I must start writing my autobiography .. now

Thursday, September 25, 2014

very shortly I intend to come out with 
a publication of collection of poems in Hindi language -
मैं सोच रहा था ..

Sunday, April 7, 2013

observed people 
many a times
I do not understand
why 
they do not understand 
the values 
of time
I was thinking ..

Saturday, April 6, 2013

भाव
अभाव
और स्वभाव
में उलझे लोगों को देखकर
मैं सोच रहा था ..

Monday, May 7, 2012

रोज की तरह
आज भी
सुबह होते ही
लग गया हूं
फिर से
इंसानियत खोजने ..

Saturday, January 21, 2012

सम्मान के बदले अपमान ..

किसी को भी कमतर आकना ठीक नहीं .. किसी भी विषय पर अपने आप को ही सदैव उचित ठहराना उचित नहीं .. कोई आपका सम्मान करता है तो यह उसकी कोई कमजोरी नहीं हो सकती इसलिये बदले में उसे असम्मान देना .. यह भी उचित नहीं ..
कोई किसी को सम्मान देता है .. फिर उसकी वजह चोहे कोई भी हो तो यह उसका सौभाग्य है लेकिन .. मैंने यह महसूस किया है कि कभी ऐसा भी होता है कि यदि कोई किसी को सम्मान देते हैं और कारण चाहे कोई भी हो तो सम्मान प्राप्त करने वाला सम्मान देने वाले का निरादर करने लगता है और उसे यह गलतफहमी हो जाती है कि केवल वह ही है जो सर्वत्र जानकार है और बाकी सभी मूढ़-मति ।
जिस तरह से गर्मी में स्वेटर असंगति है ठीक उसी तरह कोई किसी ऐसे विषय पर जिसके बारे में उसे खास जानकारी नहीं हैं अपनी राय देते हुए यह कहे कि वह ही सही हैं और वह भी उस व्यक्ति से जो उस विषय पर सिदध-हस्त है .. और फिर रूके भी नही और झल्लाते हुए व लगभग चीखते हुए कहे कि सामने वाला विषय-सिद्ध-हस्त गलत है .. उसे कुछ भी नहीं मालूम .. और ऐसा इसलिये कि उसने टोककर सही स्थिति से अवगत कराने की कोशिश की । इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं – एक तो यह कि वह आइंदा .. अमुक के सम्मान में, नाराज नहीं करने का सोच कर सही स्थिति नहीं बतायेगा .. व दूसरा कि अमुक भविष्य में न केवल वंचित रह जायगा सही जानकारी से बल्कि सम्मान के बदले में प्राप्त अपना अपमान, हो सकता है कि कमजोर होने की स्थिति में अमुक को अकेला छोड़ दे ।
यहां इतना कह देना पर्याप्त नहीं है क्योंकि ऐसी स्थिति .. फिर वजह चाहे कोई भी हो लेकिन स्वस्थ मानसिकता का परिचायक नहीं है .. और अपने वक्त के प्रभाववश उत्पन्न इस स्थिति का कालांतर में कोई सामाजिक दुष्परिणाम हो इतना ही पर्याप्त नहीं है अमुक को अवसाद की स्थिति में भी ले जा सकता है ।

Thursday, October 20, 2011

मैं सोच रहा था ..

अनजान होना
इतने शर्म की बात नहीं ..
मैं सोच रहा था ..
जितना
सीखने के लिए
तैयार
न होना ..