this is all about the articles .. books .. paintings .. sketches .. thoughts and my experiences - DR JSB NAIDU
Sunday, July 25, 2010
चिंता भी .. चिंतन भी ..
कभी ऐसा भी होता है कि हमें रास्ते चलते कोई चेहरा अपना लगता है तो कभी रास्ते में कोई ऐसा चेहरा नज़र आ जाता है जिस पर नजर पड़ते ही गुस्सा सा आने लगता है जबकि उस अनजान चेहरे ने अपना कुछ भी नहीं बिगाड़ा होता है .. कोई मुझसे कह रहा था .. न जाने ऐसा क्यों लगता है .. वे आगे कहने लगे - जब किसी से कोई बैर नहीं तो फिर क्या सोचना .. लेकिन जब कोई आत्मसात करता कोई चेहरा दिखकर गायब हो जाता है तो फिर कुछ तकलीफ तो होती है .. । उनकी बातें / मैं सुन रहा था / मैं चिंतन कर रहा था / मैं चिंतित हो रहा था / मैं सोच रहा था ..
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