The Book written by me

Jaane Kitne Rang ( in Hindi )

Wednesday, February 17, 2010

अभिव्यक्ति ..

कई ऐसे डाक्टर हैं जिनका चिंतन प्रभावशाली व तारीफ के काबिल है । यहां मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि मैं स्वयं पेशे से एक डाक्टर हूं इसलिये डाक्टर की तारीफ कर रहा हूं .. कतई ऐसा नहीं है ।
मेरे एक मित्र हैं जो पेशे से चिकित्सक हैं .. वे उस दिन ऐसे ही किसी बात पर कह रहे थे - अपने देश में ये जो बाबूओं का राज है वह आज की स्थिति में शरीर में होने वाली डायबिटिज़ जैसी बीमारी की तरह घातक है .. । मैं उनके इस अवलोकन .. इस पैनी निगाह पर सोच रहा था ।
मैं अहा ज़िदगी का फरवरी 2010 का अंक पढ़ रहा था । उसमें पृष्ठ 82 में डा अरविन्द नेराल का पत्र-लेख 'आज में जीना सिखो निन्नी' पढ़ा । पढ़कर मुझे अच्छा लगा । मैं उन्हें सेल-फोन पर SMS कर बधाई दूंगा ।
मैं अपनी मानसिकता की बात कर रहा हूं कि .. चाहे कोई भी व्यक्ति हो या फिर वह कोई भी प्रोफेशन का हो .. अपने अन्दर की अनुभूति को यदि व्यक्त करने की आदत यदि उसमें है तो वह मेरी नजर में प्रशंसनीय है .. उसके अभिव्यक्ति का माध्यम फिर कोई चाहे कोई भी हो .. कविता हो या फिर लेख या फिर चित्र या फिर म्यूज़िक . । जो किसी अभिव्यक्ति को व्यक्तिगत होने की टिप्पणी देते हैं उनसे मेरा सनम्र निवेदन है कि किसी अभिव्यक्ति को आप इस नज़र से देखें कि हो सकता है कि किसी का कोई अनुभव आपके किसी काम आ जाये और तब उस स्थिति में ऐसी अभिव्यक्ति की साथर्कता का अहसास आप कर सकते हैं । जो सही है उसे कहने व लिखने में कोई संकोच नहीं है । लिखते समय केवल एक बात का ध्यान रखना चाहिये कि कोई व्यक्तिगत टिप्पणी किसी के लिये कभी न हो और ऐसा किसी को भी नहीं करना चाहिये .. मैं ऐसा सोचता हूं .. ।

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