10 जनवरी 2010 । रविवार।
मेरे एक मित्र हैं, जो नाक-कान-गला विशेषज्ञ हैं .. । यह उस दिन का वाक्या है जब हमारी मुलाकात किसी के गृह-प्रवेश कार्यक्रम में हुई थी .. । कुछ लोगों के साथ वे भी खड़े-खड़े बतिया रहे थे । वे बातों ही बातों में किसी से कह रहे थे - " अब आपको उम्र के इस पड़ाव पर तो आकर सोचना चाहिये .. आप इतना क्यों बोलते हैं .. माना कि ईश्वर ने आपको नाक भी दिया व कान भी और गला या आवाज भी .. दिया है लेकिन आपको बोवना कम से कम चाहिये .. सारी तकलीफों की जड़ तो यही है .. आप सुना ज्यादा करिये और बोला तो बिल्कुल भी कम "
शारीरिक इलाज करते-करते आप तो बड़ी सार-गर्भित बातें कह गये हैं .. वहीं खड़े किसी व्यक्ति का कमेंट था । पास में खड़े किसी दूसरे सज्जन ने कहा - डा. साहब आप बिल्कुल ठीक कहते हैं .. आपकी ये बातें .. बीते हुए कल व आज के साथ-साथ आने वाले कल के संदर्भ में भी सत्य व सामयिक प्रतीत होती है । अगले दिन सुबह-सुबह अखबार हाथ में लेते ही मित्र की कही हुई वह बात याद आ गई .. ।
सोचा आपको भी बताता चलूं .. ।
- डा. जेएसबी नायडू ।
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